बूंदी की स्थापना राजा बून्दा मीणा ने की थी। 1342 तक यहां मीणाओं ने राज्य किया। इसे “छोटी काशी” एवं “बावड़ियों का बूंदी शहर” के नाम से भी जाना जाता है।
प्रशासनीक इकाईया
तहसील - 6 पंचायत समिति - 5 संभाग - कोटा
महत्वपूर्ण तथ्य
यह एक अन्तर्वर्ती जिला है, जिसकी सीमा अन्य किसी भी राज्य या देश से नहीं लगती। बूंदी जिले में हाड़ौती बोली, बोली जाती है। जिसका वर्णन सर्वप्रथम केलाग दवारा लिखित हाड़ौती व्याकरण में मिलता है। चम्बल नदी राजस्थान में चित्तौड़गढ़, कोटा, बूंदी, सवाईमाधोपुर, करौली, धौलपुर में बहते हुए युमना में मिल जाती है। दुगारी, मिठे पानी की झील बूंदी में स्थित है। कनक सागर, मिठे पानी की झील बूंदी में स्थित है।
रामगढ़ विषधारी अभ्यारण्य - इस अभ्यारण्य में बाघ, साम्भर, चिंकारा, रीछ, जंगली सुअर आदि वन्य जीव पाये जाते हैं, इस अभ्यारण्य को मेज नदी से जलआपूर्ति होती है। कनकसागर पक्षी अभ्यारण्य - यह अभ्यारण्य प्रवासी पक्षियों के लिए प्रसिद्ध है। यह राजस्थान के पर्यटन विकास की दृष्टि से हाड़ौती सर्किट में आता है। बूंदी जिले में गणगौर का त्यौहार नहीं मनाया जाता। कजली तीज/बड़ी तीज/सातूड़ी तीज महोत्सव - बूंदी - भाद्र पद कृष्ण तृतीया
तारागढ़ का किला - तारागढ किले का निर्माण बरसिंह के शासनकाल में हुआ। दुर्ग में एक ऊंचा बुर्ज है जिसे भीम बुर्ज कहते हैं। इस किले में “गर्भ - गंजन” नामक शक्तिशाली तोप स्थित है। चौरासी खम्भों की छतरी- भगवान शिव को समर्पित इस छतरी का निर्माण राजा अनिरूद्ध ने धाबाई देवा की स्मृति में करवाया था। रानी जी की बावड़ी - राव राजा अनिरूद्ध की पत्नी नाथावती(नातावन) जी द्वारा निर्मित एशिया की सबसे खूबसूरत बावडी। शिकार बर्ज - राव राजा उम्मेदसिंह सन्यास धारण करने के बाद एकान्तवास में इस आश्रम में रहे। केशरबाग - बूंदी के राजाओं की छतरियां । केशवरायपाटन सहकारी शुगर मिल्स लिमिटेड, केशवरायपाटन बूंदी में है।