डूंगरपुर के बारे में ऐसा माना जाता है कि डुंगरपुर का प्राचिन नाम डूंगरिया भील की ढाणी था। डूंगरिया (डूंगरसिंह) यहां का सरदार था, जिसे रावल वीर सिंह ने जीत कर डूंगरपुर की स्थापना की। महत्वपूर्ण तथ्य कर्क रेखा अर्थात 23 1/2 डिग्री अक्षांश राज्य के दक्षिण में बांसवाड़ा डुंगरपुर जिले से गुजरती है। गुजरात की सीमा पर सबसे छोटा जिला डूंगरपुर।
प्रशासनिक इकाईयां
तहसील - 9 पंचायत समिति - 10 संभाग - उदयपुर
महत्वपूर्ण तथ्य
देवल/मेवलिया - डूंगरपुर व बांसवाड़ा के मध्य का भाग।भौगोलिक नाम पुष्प क्षेत्र डूंगरपुर व बांसवाड़ा संयुक्त रूप से पुष्प क्षेत्र कहलाता है। वागड़ - डूंगरपुर व बांसवाड़ा। डूंगरपुर राजस्थान का सबसे अधिक लिंगा अनुपात (994) वाला जिला है। डूंगरपुर राजस्थान का सम्पुर्ण साक्षर जिला भी है। बागड़ी, डुंगरपुर व बांसवाड़ा क्षेत्र की बोली है, इसे भीलों की बोली कहते हैं। माही नदी- माही नदी मध्यप्रदेश के अममोरू(धार) से निकलती है, राजस्थान में बांसवाड़ा के खांदू गांव से प्रवेश करती है। बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ की सीमा पर बहते हुए, डुंगरपुर, बांसवाड़ा की सीमा बनाते हुए गुजरात में प्रवेश करती है।
बेणेश्वर - आसपुर में सोम, माही, जाखम नदियों के संगम पर स्थित वनवासियों का पवित्र महातीर्थ स्थित है। इसे आदिवासियों का कुम्भ भी कहा जाता है। यहां भारत में एकमात्र खंण्डित शिवलिंग की पूजा होती है। सोम - कमला - अम्बा परियोजना - सोम नदी पर डूंगरपुर में। माही बजाज सागर परियोजना - इस परियोजना के अन्तर्गत बांसवाड़ा व डूंगरपुर की कुछ तहसीलों में जल आपुर्ति होती
भीखाभाई सागवाड़ा नहर - डूंगरपुर। गैब सागर - इस झील के किनारे राज राजेश्वरी मंदिर स्थित है। राजस्थान में झरनों द्वारा सर्वाधिक सिंचाई डूंगरपुर व बांसवाड़ा जिले में होती है। इस जिले में वर्तमान में कोई भी वन्यजीव अभ्यारण्य नहीं है।
राजस्थान के डूंगरपुर जिले में रूख - भायला कार्यक्रम सातवीं पंचवर्षीय योजना के अन्तर्गत राजीव गांधी ने प्रारम्भ किया। महुआ के सर्वाधिक वृक्ष डुंगरपुर जिले में है। गलियाकोट - यह सागवाड़ा में बोहरा सम्प्रदाय का मुख्य तीर्थ स्थल, सैयद फखरूद्दीन की मजार है। यहां हर वर्ष उर्स भरता है। गवरी बाई का मंदिर - वागड़ की मीरां के नाम से प्रसिद्ध गवरी बाई का मंदिर महारावल शिवसिंह ने बनवाया था। संत मावजी का मंदिर - साबला गांव में स्थित मंदिर, मावजी को भगवान विष्णु का कल्कि अवतार माना जाता है।
देव सोमनाथ - यह सोम नदि के किनारे बना एक प्राचिन शिव मंदिर है, जो बिना सिमेन्ट, चूने के सफेद पत्थरों को जोड़ कर बनाया गया है। राजस्थान पर्यटन विकास की दृष्टि से यह जिला वागड़ सर्किट में आता है। बेणेश्वर महोत्सव - डुंगरपुर (माघ पुर्णिमा)। रमकड़ा (सोफ्ट स्टोन को तराश कर बनाई गई वस्तुएं) - गलियाकोट, डुंगरपुर।