झालावाड़ की स्थापना कोटा के फौजदार झाला जालिम सिंह द्वारा 1791 ई. में कि गई। उस समय इसका नाम उम्मेदपुरा की छावनी था। झालावाड़ रियासत की स्थापना झाला मदनसिंह द्वारा 1838 ई. में की गई।
प्रशासनीक इकाईयां
तहसील - 8 पंचायत समिति - 8 संभाग - कोटा
महत्वपूर्ण तथ्य
राजस्थान की सबसे नवीनतम रियासत झालावाड़। अंग्रेजों के समय में स्थापित होने वाली एकमात्र रियासत मध्यप्रदेश के साथ सर्वाधिक सीमा वाला जिला झालावाड़। जिला स्तर पर सर्वाधिक वर्षा झालावाड़(100 सेमी.) में होती है।आंधियों की न्युनतम संख्या झालावाड़ (3 दिन) में है। वर्षा के दिनों की सर्वाधिक संख्या झालावाड़(40 दिन)। राजस्थान का सर्वाधिक आर्द्र जिला झालावाड़।
राजस्थान में मानसून का प्रवेश द्वार - झालावाड़ व बांसवाड़ा। मालवा का क्षेत्र - झालावाड़ व प्रतापगढ़ संयुक्त रूप से मालवा का क्षेत्र कहलाता है। मुकुंदवाड़ा की पहाड़ीयां - कोटा व झालावाड़ के बीच। झालावाड़ जिले में हाड़ौती बोली, बोली जाती है। जिसका वर्णन सर्वप्रथम केलाग द्वारा लिखित हाड़ौती व्याकरण में मिलता है। आह नदी, मध्यप्रदेश के मेहंदी गांव से निकलती है, तथा झालावाड़ के नंदपुर में राजस्थान में प्रवेश करती है।
परवन नदी - यह मध्यप्रदेश के विन्धयन क्षेत्र से निकलती है झालावाड़ के मनोहर थाना में राजस्थान में प्रवेश करती है। काली सिंध नदी, मध्यप्रदेश के बागली गांव (देवास) से निकलती है तथा झालावाड़ के रायपुर में राजस्थान में प्रवेश करती है भीम सागर परियोजना झालावाड़। चन्द्रभागा परियोजना झालावाड़। छापी परियोजना झालावाड़।
मुकुंदरा हिल्स नेशनल पार्क - कोटा, झालावाड़ (9 जनवरी 2012 को)। (राष्ट्रीय उद्यान) दर्रा अभ्यारण्य - कोटा, झालावाड़। झालरापाटन - इसे घंटियों का शहर भी कहा जाता है। इसकी स्थापना जालिम सिंह ने चन्द्रावती नगर के अवशेषों पर की, यह नगर चंद्रभागा नदी के तट पर बसा है।
गागरोन दुर्ग - मुकुन्दा पहाड़ी पर आहू व कालीसिंध नदियों के संगम पर स्थित किला। इस दुर्ग में संत मीठेशाह की दरगाह है। पद्मनाथ मंदिर(सुर्य मंदिर) - इसे सात सहेलियों का मंदिर भी कहते हैं। कर्नल टाड ने इसे चारभुजा का मंदिर भी कहा था। चन्द्रभागा मंदिर - चन्द्रभागा नदी के तट पर स्थित सातवीं सदी का मंदिर। यह राजस्थान के पर्यटन विकास की दृष्टि से हाड़ौती सर्किट में आता है।
रैन बसेरा - किशन सारग झील के किनारे लकड़ी से बना सुन्दर विश्रामघर है।देहरादून के वन शोध संस्थान द्वारा निर्मित इस अनूठे भवन को सन् 1936 में लखनऊ की एक उद्योग प्रदर्शनी में रखा गया। शीतलेश्वर महादेव(चन्द्रमौली) का मंदिर - यह राज्य का पहला तिथि अंकित मंदिर है इसका निर्माण राजा दुय्गण के सामंत वाप्पक ने करवाया था। कालीसिंध झालावाड़ में राजस्थान का एक क्रीटिकल सुपर थर्मल प्लांट निर्माणाधीन है। चंद्रभागा पश मेला - झालावाड़। गोमती सागर पशु मेला - झालावाड़।