जोधपुर शहर की स्थापना राठौड़ वंश के शासक राव जोधा ने 1459 में की। जोधपुर जिला राजस्थान के पश्चिम भाग में स्थित है। जोधपुर राजस्थान का दुसरा सबसे बड़ा शहर है। यह सुर्यनगरी एवं थार मरूस्थल का प्रवेश द्वार के नाम से प्रसिद्ध है। दुर्ग के आस पास नीले मकानों के कारण इसे “नीली नगरी” के नाम से भी जाना जाता है।
प्रशासनीक इकाईयां
तहसील - 13 पंचायत समिति - 16 संभाग - जोधपुर
जोधपुर महत्वपुर्ण तथ्य
गुजर्रात्रा - जोधपुर का दक्षिणी भाग (भौगोलिक नाम) ओसीयां - ओसीयां सभ्यता जोधपुर। क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ी रियासत जोधपुर (मारवाड़)। क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान का सबसे बड़ा संभाग। सर्वाधिक अन्तराष्ट्रीय सीमा बनाने वाला संभाग जोधपुर। अन्तराष्ट्रीय सीमा से सर्वाधिक दुर संभागीय मुख्यालय। जोधपुर एक अन्तवर्ती जिला है, जिसकी सीमा किसी भी अन्य राज्य या देश से नहीं लगती।
राजस्थान में कम आर्द्रता वाला स्थान फलौदी जोधपुर। (जलवायु) राजस्थान व भारत का सबसे गर्म स्थान फलोदी। लनी नदी पर जोधपुर में जसवन्त सागर बांध बना है। जोजड़ी नदी जोधपुर में बहते हुए जोधपुर के दधिया गांव में लूनी में मिल जाती है। इन्दिरा गांधी नहर से एक शाखा फलोदी लिफ्ट नहर है जिसका नया नाम गुरू जम्मेश्वर जलोउत्थान योजना है। बालसमन्द झील (मीठे पानी की झील) - जोधपुर मण्डोर मार्ग पर स्थित है। इसका निर्माण 1159 में परिहार शासक बालकराव ने करवाया। इस झील के मध्य महाराजा सुरसिंह ने अष्ट खम्भा महल बनाया। कायलाना झील (मीठे पानी की झील) - इसका निर्माण प्रताप सिह ने करवाया था। फलोदी - खारे पानी की झील (जोधपुर)। जोधपुर में रोहिंडे को मारवाड़ टीक के नाम से जाना जाता है।
मेहरानगढ़ दुर्ग -मेहरानगढ दुर्ग त्रिकुट पहाड़ी पर 125 मिटर की ऊंचाई पर स्थित विशाल दुर्ग है। इसमें फुलमहल, मोती महल, अंगार चैकी, चामुण्डा देवी का मदिर आदि प्रसिद्ध हैं। चिड़ीया टुक की पहाड़ी मेहरानगढ़ जोधपुर। जसवंत थड़ा - राजा सरदार सिंह द्वारा महाराजा जसवंतसिंह द्वितीय की स्मृति में सफेद संगमरमर से निर्मित भव्य इमारत। मण्डोर - जाधपुर शासकों की छतरी बनीं है, तथा मारवड़ की पूर्व राजधानी। यहां 33 करोड़ देवी देवताओं की गद्दी स्थित है। गर्जर प्रतिहारों की प्रारम्भिक राजधानी -मण्डौर उम्मेद भवन - महाराजा उम्मेद सिंह द्वारा अकाल राहत कार्यो (1928-1940) के तहत बनवाया गया भवन, छीतर पत्थर के प्रयोग के कारण इसे छीतर पैलेस भी कहा जाता है।
ओसीयां स्थित मंदिर का निर्माण गुजर प्रतिहार शासकों ने करवाया। अजीत भवन - यह महल देश का पहला हैरीटेज (विरासत) होटल है। खिंचन गांव - फलौदी के पास स्थित यह गांव अप्रवासी कुरंजा पक्षियों के लिये प्रसिद्ध है। खेजड़ली - राजस्थाान के जोधपुर रियासत में खेजड़ली गांव में सन 1730 में खेजडी के वक्ष को बचाने के लिए अमता देवी के नेतृत्व में चिपको आन्दोलन चलाया गया जिसमें बिश्नोई समप्रदाय के 363 लोग शहिद हुए थे जिनकी समृति में खेजड़ी गांव में प्रतिवर्ष विश्व का एक माात्र वृक्ष मेला भाद्र पद शुक्ल दशमी को भरता है।
जोधपुर में दशहरे के दिन राम की सवारी निकाली जाती है। इस दिन लोग खेजड़ी वृक्ष की पूजा करते हैं व लीलटांस पक्षी के दर्शन इस दिन शुभ मानते हैं। राजस्थान में वनों की कटाई पर सर्वप्रथम प्रतिबन्ध जोधपुर रियासत ने लगाया था। गोडावण के प्रजनन के लिए जोधपुर जन्तुआलय प्रसिद्ध है। मारवाड़ी बोली राजस्थान के सर्वाधिक क्षेत्र में बोले जाने वाली बोली है। जोधपुर जिले में गणगौर का त्यौहार नहीं मनाया जाता। धींगागौर का मेला जोधपुर में वैशाख कृष्ण तृतीया को मनाया जाता है।
काजरी - केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान 1952 में स्थापित। आफरी - शुष्क वन अनुसंधान संस्थान। सर्वाजनिक क्षेत्र में पवन ऊर्जा संयंत्र फलोदी जोधपुर। राजस्थान में प्रथम सौर ऊर्जा फ्रीज बालेसर ,जोधपुर में स्थापित किया गया। राजस्थान में प्रथम सौर ऊर्जा सयंत्र मथानिया जोधपुर में स्थापित किया गया। राजस्थान में सौर ऊर्जा पार्क - बड़ाला, जोधपुर। राजस्थान में सौर ऊर्जा उपक्रम क्षेत्र (SEEZ) - जैसलमेर, बाड़मेर और जोधपुर को घोषित किया गया है। बोरानाड़ा जोधपुर हेण्डी क्राफ्ट हेतु प्रसिद्ध। औद्योगिक विकास) स्पाईस पार्क (मसाले ) जोधपुर । एग्रो फुड पार्क जोधपुर।
ग्रासिम बिड़ला व्हाइट सीमेन्ट (सफेद सीमेन्ट का कारखाना) - खारिया खंगार भोपालगढ़ जोधपुर, विश्व का सबसे बड़ा सफेद सीमेन्ट कारखाना। मारवाड़ महोत्सव जोधपुर। पतंग महोत्सव - जोधपुर, जयपुर, जैसलमेर। जोधपुर राजस्थान पर्यटन विकास की दृष्टि से मरू त्रिकोण में आता है। केन्द्रीय अश्व प्रजनन केन्द्र, बिलाड़ जोधपुर। जोधपुर में हस्त कला। बंधेज का कार्य(चुनरी) जोधपुर का प्रसिद्ध है। मोठड़े - कपड़े पर एक दुसरी की काटती हुई धारियां जोधपुर की प्रसिद्ध है। बादला - जस्ते से निर्मित पानी को ठण्डा रखने का बर्तन।