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राजसमंद- Rajasthan GK With Map

राजसमंद 10 अप्रैल 1991 में उदयपुर से अलग हो कर स्वतंत्र जिला बना।राजसमंद का नाम राजसमंद झील से लिया गया है। इस शहर का प्राचिन नाम 'राजनगर' था।

राजसमंद 10 अप्रैल 1991 में उदयपुर से अलग हो कर स्वतंत्र जिला बना।राजसमंद का नाम राजसमंद झील से लिया गया है। इस शहर का प्राचिन नाम 'राजनगर' था।

प्रशासनिक इकाईयां

तहसिल - 9 पंचायत समिति - 7 संभाग - उदयपुर 

महत्वपूर्ण तथ्य

कुम्भलगढ़ राजसमंद राजस्थान में लिंगानपात के मामले में राजसमंद दुसरे स्थान पर है। राजस्थान में पशु घनत्व की दृष्टि से राजसमंद दुसरे स्थान पर है। राजसमंद एक अंतर्वर्ती जिला है जिसकी सीमा किसी भी राज्य या देश से नहीं लगती। नाल - मेवाड़ क्षेत्र में (विशेष कर राजसमंद में) अरावली पर्वत माला के अन्तर्गत आने वाले दरों को नाल कहते हैं। (भौगोलिक नाम) 

भोराट का पठार - कुंभलगढ़ (राजसमंद) तथा गोगुंदा (उदयपुर) के मध्य स्थित इस पठार को मेवाड़ का पठार भी कहते हैं। गिलण्ड/गिलन्द सभ्यता - राजसमंद। राजसिंह(1652-80) दो मुगल शासकों (शाहजहां व औरंगजेब) के समकालीन। बनास नदी राजसमंद जिले की खमनौर की पहाड़यों से निकलती है। कोठारी नदी, राजसमंद जिले के दिवेर से निकलती है। इस पर भीलवाड़ा के मांडलगढ़ कस्बे में मेजा बांध बना है। खारी नदी, यह नदी राजसमंद के बिजराल गांव से निकलती है। इस नदी के किनारे भीलवाड़ा का आंसीद कस्बा स्थित है। 

राजसमंद झील - महाराणा राजसिंह द्वार 1662 बनाई गई झील। राजसमंद झील में गोमती नदी का पानी आकर गिरता है। इस झील के किनारे नौ चैकी पाल है, जिस पर मेवाड़ का इतिहास रणछोड़ भट्ट द्वारा संस्कृत भाषा में लिखा गया है। यह विश्व का सबसे बड़ा शिलालेख है। नंद समंद झील - मिठे पानी की झील। कुंभलगढ अभ्यारण्य - उदयपुर, राजसमंद, पाली। रावली टाड़गढ़ अभ्यारण्य - राजसमंद, पाली व अजमेर।

कुम्भलगढ़ - मेवाड़ व मारवाड़ की सीमा पर सादड़ी के निकट अरावली पर्वत पर स्थित दुर्ग, जिसका निर्माण महाराणा कम्भा ने 1448-58 के मध्य करवाया, इसका शिल्पी मंडन था। इसी दुर्ग में महाराणा कुम्भा का निवास स्थान था, जिसे कटारगढ़ कहते हैं। इसे ऊचाई पर स्थित होने के कारण मेवाड़ की आंख भी कहा जाता है। इस किले की ऊंचाई के बारे में अबुल फजल ने कहा की " यह इतनी बुलन्दी पर बना हुआ है कि नीचे से ऊपर की ओर देखने पर सिर से पगड़ी गिर जाती कर्नल जेम्स टाड ने इसकी तुलना एट्रस्कन से की है। कम्भलगढ़ के दुर्ग की दिवार ‘भारत की महान दिवार' के नाम से जानी जाती है। कुम्भलगढ़ के अन्य नाम कुम्भलमेरू, कमलमीर, माहोर, कुम्भपुर। 

हल्दीघाटी - इस स्थान पर 21 जुन 1576 को महाराणा प्रताप व अकबर के सेनापति मानसिंह के मध्य युद्ध हुआ। युद्ध में बहे रक्त के कारण इस स्थल को रक्त तलाई के नाम से भी जाना जाता है। जेम्स टाॉड ने इसे ‘मेवाड़ की थर्मोपोली कहा। महाराणा प्रताप के स्वामी भक्त घोड़े की यहां समाधि है। दिवेर - यहां महाराणा प्रताप व मुगल सेना के मध्य युद्ध (छापामार) हुआ जिसमें महाराणा प्रताप की विजय हुई। कर्नल जेम्स टाड ने इसे 'मेवाड़ का मेराथन' की उपमा दी थी। 

श्री नाथजी मंदिर - यह वल्लभ सम्प्रदाय का प्रमुख धार्मिक स्थल है। यहां की पिछवाइयां प्रसिद्ध है। द्वारकाधीश मंदिर - कांकरोली कस्बे में राजसमंद झील के किनारे वल्लभ संप्रदाय का द्वारकाधीश का प्रसिद्ध मंदिर है। यह जिला राजस्थान में पर्यटन विकास की दृष्टि से मेवाड़ सर्किट में आता है। टेरीकोटा (मिट्टी के बर्तन व खिलौने) - मोलेला , राजसमंद।

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