राजस्थान में सूखा एवं अकाल (Drought & Famine in Rajasthan)
राजस्थान भारत का सबसे शुष्क राज्यों में से एक है, जहाँ वर्षा की अत्यधिक अनिश्चितता, मरुस्थलीय जलवायु, उच्च वाष्पीकरण, तथा सीमित जल-स्रोतों के कारण सूखा एवं अकाल इतिहास से निरंतर चुनौती रहे हैं। यह लेख प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाने वाले सभी महत्वपूर्ण बिंदुओं को सरल भाषा में प्रस्तुत करता है।
11.1 राजस्थान में सूखे का सामान्य परिचय
राजस्थान में वर्षा की अनिश्चितता, असमान वितरण तथा अत्यधिक वाष्पीकरण के कारण लगभग हर वर्ष किसी न किसी हिस्से में सूखे जैसी स्थिति बन जाती है। वर्षा आधारित कृषि क्षेत्र होने के कारण सूखा राज्य की अर्थव्यवस्था, खाद्य उत्पादन, पशुपालन और पेयजल उपलब्धता को व्यापक रूप से प्रभावित करता है।
राजस्थान सूखा प्रभावित क्षेत्र – मानचित्र
पश्चिम राजस्थान सबसे अधिक संवेदनशील
Image Prompt:
“Flat vector map of Rajasthan showing drought-prone districts (Jaisalmer, Barmer, Bikaner, Jodhpur), color-coded severity (high–medium–low), desert icons, educational infographic style.”
11.2 राजस्थान में सूखे के प्रमुख कारण
- 1. मानसून की अनिश्चितता: राज्य में वर्षा 90% दक्षिण-पश्चिम मानसून पर निर्भर है।
- 2. अरावली पर्वत श्रृंखला का दिशा-निर्देशन: उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम दिशा में होने से मानसूनी बादलों को रोकने में अक्षम।
- 3. थार मरुस्थलीय प्रभाव: हवा में नमी कम; वाष्पीकरण अत्यधिक।
- 4. उच्च तापमान: कई स्थानों पर तापमान 48°C+ तक पहुँचता है।
- 5. वर्षा का असमान वितरण: पश्चिम में 100 मिमी, पूर्व में 600 मिमी तक वर्षा।
- 6. भूमिगत जल का कमी होना: कई जिलों में जल स्तर 250–400 फीट तक गिर चुका है।
11.3 सूखे के प्रकार (Types of Drought)
- मौसमीय (Meteorological) सूखा: सामान्य से कम वर्षा होने पर।
- कृषि सूखा: फसलों के लिए नमी की कमी।
- जल सूखा: तालाब, नहर, कुएँ, बांधों में जलस्तर कम होना।
- सामाजिक-आर्थिक सूखा: आजीविका, पशुपालन, रोजगार पर व्यापक असर।
11.4 राजस्थान में अकाल का इतिहास
राजस्थान में इतिहास के दौरान कई बार विनाशकारी अकाल पड़े, जिनमें:
- मुंगेरण का अकाल (1868–69) — सबसे भीषण माना जाता है।
- चंग 1899–1900 — व्यापक जनहानि और पलायन।
- 1943 बंगाल अकाल का प्रभाव पश्चिमी राजस्थान तक देखा गया।
- 1972, 1987, 2002 — स्वतंत्र भारत के प्रमुख सूखे वर्ष।
11.5 सूखे के प्रभाव
- कृषि उत्पादन में भारी गिरावट
- पेयजल संकट
- पशुधन की हानि
- ग्रामीण पलायन
- भूमिगत जल का अत्यधिक दोहन
- वनस्पति एवं जैव विविधता पर हानिकारक प्रभाव
11.6 राजस्थान सरकार एवं केन्द्र की पहल
- जल स्वावलंबन अभियान — जल संचयन संरचनाओं का निर्माण।
- मनरेगा — सूखा राहत कार्य, तालाब/बांध निर्माण।
- डेजर्ट डेवलपमेंट प्रोग्राम (DDP)
- प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY)
- नलकूप/ट्यूबवेल सब्सिडी कार्यक्रम
त्वरित सारांश
- राजस्थान का पश्चिमी भाग सर्वाधिक सूखा प्रवण है।
- मुख्य कारण: कम वर्षा, थार मरुस्थल, अरावली की दिशा।
- प्रमुख सूखे वर्ष: 1868–69, 1899–1900, 1987, 2002।
- सरकारी पहल: जल स्वावलंबन, DDP, PMKSY, मनरेगा।
प्रैक्टिस MCQ (सूखा एवं अकाल)
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राजस्थान का कौन-सा क्षेत्र सर्वाधिक सूखा प्रवण है?
(A) पूर्वी राजस्थान (B) कोटा-बूंदी क्षेत्र (C) पश्चिमी राजस्थान (D) दक्षिणी राजस्थान -
1868–69 का भीषण अकाल किस नाम से जाना जाता है?
(A) चंग (B) मुंगेरण (C) दुर्दैव अकाल (D) बंगाल प्रभाव -
राजस्थान में सूखे का मुख्य कारण है—
(A) घना वन आवरण (B) मानसून की अनिश्चितता (C) नदियों की अधिकता (D) पर्वतीय वर्षा -
डेजर्ट डेवलपमेंट प्रोग्राम (DDP) किस समस्या के समाधान हेतु चलाया गया?
(A) उद्योग विकास (B) सिंचाई संकट (C) मरुस्थलीकरण व सूखा (D) पर्यटन विकास
